उनसे भागकर जाये तो जाये कहा ,
तकलीफ भरे इस अँधियारे में दीपक तो जलाना ही पड़ता हैं ;
पेड़ से चिड़ियों के चले जाने से पेड़ रोने तो नहीं लगता ,
कल कभी ख़त्म नहीं होता है क्योकि वो एक नए सबेरे के साथ फिर आता हैं ;
अगर दिल में कुछ करने की चाह हो तो ऊपर वाला राह खुद ब खुद बना देता हैं ;
तो आओ अपनी मेहनत और लगन से उम्मीदों की फसल फिर से उगाये ,
चलो एक बार फिर से जी जाय ,
पतझड़ के बाद बहारें फिर से आती हैं ;
मुरझाई कलियाँ एक बार फिर से जरूर मुस्कुराती हैं |
....
No comments:
Post a Comment