अदरक की चाय पर जो घंटो बतियाते थे ,
मटर की कचौरियों पे smiles 😊😊😊जो बनाते थे;
देखों यूँ ख़ामोश बैठें हैं, रिश्ता अपना तोड़े बैठें हैं ;
ना शेरनी की Roar हैं , ना टर टर मेढ़क की ;
ना बर्फी रोमांस की, ना इनकी शरारत की;
देखों यूँ सब कुछ खोये बैठें हैं, रिश्ता अपना तोड़े बैठें हैं ;
ना सेल्फीज़ हैं, ना लाइव हैं, ना प्यार की निशानियाँ ;
ना हाथों में हाथ, ना टैगिंग, ना माफ़ियाँ ;
देखों होश में बेहोश बैठे हैं, रिश्ता अपना तोड़े बैठें हैं ;
ना जाने किस खुमारी में थे, गुस्से की किस बीमारी में थे ;
दिल अपनी जान का तोड़े बैठें है, मुँह जिंदगी से मोड़ें बैठें है;
देखों देखों ये आज रिश्ता तोड़े बैठे है |❣️❣️❣️
Wow very nice😊😊😊
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