Monday, May 3, 2021

my lockdown experience(2020)

हेल्लो दोस्तों

 मैं पूजा रौनियार आज आपलोगों को अपनी lockdown का experience साझा करेंगे

जब पहली बार lockdown हुआ तब मेरा बोर्ड एग्जाम चल रहा था। बस आखिरी पेपर बचा था english का | तब मोदी जी ने 21 दिन का lockdown लगा दिए ‍‌| पूरे देश में covid-19 के वजह से फिर exam स्थगित हो गया | ये पूरा 21 दिन इसी टेंशन में गुजरा की पेपर होगा की नही होगा | होगा तो कब होगा पूरे डेढ़ महीने इसी टेंशन में गुजर गया | फिर पता चला की पेपर cancle हो गया| उस टाइम कोरोना पुरे विश्व में बहुत तेज़ी से फ़ैल रहा था | cancle होने के बाद फिर नया टेंशन आ गया की अब रिजल्ट कब आएगा , कब सारे comptetive exam के फॉर्म आयेंगे कहा पढ़ना है etc| कुछ दिनों बाद बोर्ड रिजल्ट भी आ गया | रिजल्ट तो अच्छा आया जितना सोचा उससे भी अच्छा आया |

उसके बाद lockdown पे lockdown लगता गया घर पर रहते रहते  बोर हो गये थे टाइम भी नही बितता था ना ही कुछ अच्छा लग रहा था टीवी देखो तो हर न्यूज़ पर कोरोना ही कोरोना था | फिर रिजल्ट के एक दो हप्ते बाद एक फ्रेंड से बात कर रहे थे तो उससे ही एक आईडिया मिला जिससे टाइम भी पास हो सके और अच्छा भी लगे और इससे कोई कुछ सीख भी ले | ओ आईडिया दिया की बच्चों को पढाओ | तभी हम सोच लिए जबतक lockdown चलेगा गांव पर ही कुछ बच्चों को पढ़ाएंगे | आईडिया तो मिल गया फिर सोचना ये था की बच्चें कैसे आयेंगे फिर 2 -3 दिन बाद अपने घर के बाहर ground में वैसे ही बात कर रहे थे  2-3 बच्चे थे आस पास के हम उनलोगों से पूछें अगर हम पढ़ाएंगे तो पढोगे तुम लोग तो उनलोगों ने कहा ठीक है पढ़ेंगे लोग दीदी आप पढाओ | फिर फीस के बारे में पूछने लगे सब तो हमने कह दिया तुमलोग जितना दे पाओ उतना दे देना जबतक मेरा कही एडमिशन नही हो जाता तबतक पढ़ाएंगे तुमलोगों को | बोले सब ठीक है |

फिर दो तीन दिन बाद मेरा छोटा भाई और घर के बगल के 2-3 बच्चे पढ़ने आये सब 1-6 क्लास के थे । मैंने पहले ही दिन से पढ़ना शुरु कर दिया था। सब अच्छे से पढ़ते भी थे उनलोगों के साथ मेरा भाई भी पढ़ ले रहा था नही तो दिनभर इधर उधर खेलता ही रहता था | फिर धीरे धीरे और भी बच्चे बढ़ते गए गांव के अन्दर से भी बच्चे आने लगे अब पुरे 20 बच्चे हो गये थे। जो नर्सरी से लेकर 9वीं क्लास तक थे। मैं उनलोगों को सभी सब्जेक्ट पढ़ाती थी | अब बच्चे 20 से ऊपर हो गये थे मैनेज करने में दिक्क़त होने लगी थी इसीलिए दो sift (3 बजे दोपहर से शाम 6 बजे तक ) में पढ़ाने लगे। बच्चो को पढ़ाने में अपनी छोटी बहन का भी सहायता लिए वो और बच्चो को मैथ पढ़ाती थी जब हम दूसरे बच्चो को english या साइंस पढाते थे | येसे ही lockdown बढ़ता गया 15 अगस्त आ गया | मैंने और सभी बच्चो ने मिलकर 15 अगस्त को celibrate करने का प्लान किया | छोटे छोटे बच्चो ने बहुत सुन्दर और मनमोहक डांस करके और गाना गाकर indepence को सेलिब्रेट किया | उसके बाद सभी को मैंने अपने पॉकेट मनी से टॉफ़ी खरीदकर दिए | बच्चे बहुत खुश हुए और मै भी बहुत खुश हुयी |

ऐसा नही है की lockdown में बस पढाये ही starting से योग भी किये और कोचिंग के बच्चो को भी सिखाये ओ भी किये सब लेकिन ऐसा होता ही है छोटे बच्चे कुछ भी थोड़ा दिन करते है सिखते है और कुछ दिन बाद धीरे धीरे छोड़ दिए सब 😀😂😅 लेकिन उन सबने किया उसी को जानकर देखकर ख़ुशी मिली | इससे नही फर्क पड़ता है की ओ सब कितना दिन किये | सोचे छोटे है इतना कर दिए बड़े होंगे सब इसके बारे मे जानेंगे तो हो सकता है उन्हें मेरा सिखाया याद आये  | इसी के साथ खाना भी बनाते थे । घर में सुबह में मै और शाम को मेरी बहन मम्मी का  सहायता कर देती थी | ऐसे ही आधा से ज्यादा lockdown मेरा बीत गया |

फिर सितम्बर आया मैंने youtube से ब्लॉग्गिंग के बारे में सीखी और खुद का एक ब्लॉग(prauniyarownpassion.blogspot.com) बनायी | और तभी से ब्लॉग्गिंग करने लगी | ब्लॉग्गिंग करने से मुझे सोशल साईट और ब्लॉग्गिंग के बारे में बहुत सी जानकारी मिली| एक्चुअली मेरा इनसब चीजों में बहुत इंटरेस्ट रहता है इसीलिए हमेशा कुछ न कुछ इन्टरनेट के जरिये सिखती रहती हू | ऐसा नही है की बस इन्ही सब चीजों को करती थी youtube के जरिये ऑनलाइन अपना भी पढती थी | साथ में एडमिशन का टेंशन हमेसा बना रहता था और lockdown भी बढ़ता जा रहा था | इसी बीच हमारे कई सारे फेस्टिवल भी आये और उन्हें हम सब ख़ुशी – खुशी मनाये |

फिर आ गया छठ पूजा , छठ पूजा तक ही पढाये उसके बाद छुट्टी कर दिए सारे बच्चे और पढना चाह रहे थे लेकिन क्या करते मुझे भी तो अपना पढना था और एडमिशन का टेंशन तो था ही |

कोचिंग की एक बात मुझे इतनी अच्छी लगी और हसी भी आई एक दिन एक बच्ची इतनी मासूमियत से कह रही थी दीदी आप ही हमलोगों को पढाओ आप कही मत जाओ पढ़ने यही रहो |

फिर कुछ दिन बाद मेरा एडमिशन लखनऊ के एक कॉलेज में हो गया| एक टेंशन तो ख़त्म हुआ अब एक टेंशन और था कि  कॉलेज कब खुलेगा | फिर सारे टेंशन को खत्म करते हुए एक महीने बाद वो दिन आ गया और मेरा कॉलेज ओपन हो गया फिर एक महीने क्लास अटेंड करने क बाद फिर कोरोना का 2nd wave आ गया फिर lockdown हो गया और सभी हॉस्टल से घर चले आये और अब ऑनलाइन क्लासेज चल रही है(अप्रैल-मई )

ये थी मेरी lockdown की खट्टी मीठी कहानी






To be continue………...

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6 comments:

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